मैं इस पचडे में नहीं पड़ता कि जसवंत सिंह की ऐतिहासिक दृष्टि क्या है, अप्रो़च क्या है ? लेकिन बंदिश लगाने वालों की परेशानी बेहद गैरजिम्मेदारी दिखा गयी। बंदिश के चाबुक चलानेवालों को पटेल की छवि की चिंता कितनी थी और वोट की फिक्र कितनी सता रही थी इसे सभी जान गए। वे भी, जिनसे यह छद्म रचने का बहाना करना था। गाँधी को पानी पी-पीकर गाली देनेवाले भी ये ही थे। देशप्रेम और राष्ट्रीयता इनके जहन में कितना था? उन्हें याद दिलाना होगा कि जिसे लोग झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई कहते हैं उसकी राष्ट्रीयता पर किसी ने सवाल उठाया भी तो वह इतिहास के पन्नों में सिमटकर रह गया। संग्राम की किताबों की मानें तो १८५७ के संग्राम में अंग्रेजों को लक्ष्मीबाई ने साफ तौर पर संदेश दिया था कि यदि वे doctrine of lapse को वापस ले लेते हैं तो इस संग्राम में उनकी ओर से लडेगी। इस संदेसे में कौन सा देशप्रेम छिपा है और कितना सौदा छिपा है, ये भगवाधारी ही बता सकते हैं। कांग्रेस यदि झूठ का महिमामंडन कर रही है तो येही कितने पीछे हैं। संग्राम की किताबों को धोखें खंगालें।
दाल गलाने का यह कौन सा तरीका ?
मैं जसवंत सिंह के इतिहास अध्ययन पर सवाल नहीं उठा रहा, पर राजनीति के घिनौने तौर-तरीके पर यह सवाल तो कर ही सकता हूँ कि उन्होंने पार्टी से निकाले जाने पर जो सवाल दागे वह किस दृष्टि के थे ? उसका इतिहास के किस सोच से वास्ता था। किस सियासी सोच के थे? इस बुढौती में वे पापों को छिपाकर रखने की कीमत मांगते से दिखते हैं। पेट साफ पेट साफ करने वाली दाई तो फिर भी बेहतर है, क्योंकि वह घोषित रूप से ऐसा काम करती है और एवज में कुछ भी अतिरिक्त नहीं मांगती। ब्लैकमेल करना तो उसके पेशे में आता ही नहीं। वह तो साफ कहते हैं कि उन्होंने आडवाणी के नक्शे-कदम पर चलने की कोशिश की। उन्हें दृष्टि, अध्ययन आदि आदि से क्या लेना-देना। उन्हें तो सिर्फ पापों की परदादारी का लगान चाहिए।
जब किसी को दीवार तक धकेल दिया जाता है निश्चय ही अटॆक मोड में आ जाता है- वही जसवंत सिंह ने किया, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी कर रहे हैं। छुटभैये मौज करे और दिग्गज नकार दिये जायें तो यही स्थिति पैदा होगी।
जवाब देंहटाएंकाफी अच्छा लिखा है आपने। लेकिन देश में प्रमुख विपक्षी पार्टी का इस तरह हाशिए पर जाना कहीं न कहीं खलता भी है। बीजेपी ने जो बोया, उसे उसके किए की सजा मिल रही है। पर, एक सशक्त विपक्ष के अभाव में आगे सत्ता पक्ष के खिलाफ कौन खड़ा होगा, इसका भी तो संकट है।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
narayan narayan
जवाब देंहटाएंछोडिये ना....ई ससुरी पार्टी-वारती को जाने दीजिये.....मरेगी ससुरी.....काहे आप चिंता लेत हैं......खैर आपका कहना वाजिब है.....और हमरी तो मज़ाक करने की आदत है....!!
जवाब देंहटाएंBahut Barhia... aapka swagat hai...isi tarah likhte rahiye...
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaybhaskar.blogspot.com