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सोमवार, 21 अक्तूबर 2024

तुम्हारे खतों से पस्त एकाकी कैद

 साल 2018-19 के किसी दिन भाई पुष्पराज ने नागपुर सेंट्रल जेल से जीएन साईंबाबा की अंग्रेजी में लिखी एक कविता अनुवाद के लिए उपलब्ध करायी. उसी समय अनुवाद किया था. भाई पुष्पराज ने अपने फेसबुक वाल पर इसे पोस्ट भी किया था ... प्रासंगिकता देखते हुए उनके निधन के बाद वह अनुवाद फिर प्रस्तुत है .....

तुम्हारे खतों से पस्त एकाकी कैद
-प्रो.जी .एन साईं बाबा
(जेल से लिखा गया प्रेम पत्र)
मैं तुम्हारा पत्र पढ़ता हूँ
टूटे हुए दिल के झरोखे से बहते हुए
अपने खून की चमक में
अपनी कोठरी के अंधकार में
मैं तुम्हारा संदेश पढ़ता हूँ
घसीटे हुए अक्षरों के घेरे पर नजदीक से टकटकी लगाये
जो तुम्हारी ऊंगलियों से झरे हैं
पंक्तियों और शब्दों के बीच उम्मीद
मैं तुम्हारी अभिव्यक्तियाँ पढ़ता हूँ
तुम्हारे चेहरे की रेखाओं में
जो तुम्हारे प्रेम की स्याही से लिपटी हुई है
तुम्हारे पत्रों में
तुम्हारे अहसास की महक है
एक-एक लफ्ज
मेरे भूखे मन के
लाखों संदेश सुनाते हैं
हां, मेरा प्यार
तुम्हारे घसीटे हुए अक्षर मुझे पसंद हैं
जो कंप्यूटर से मुद्रित कागज़ नहीं हैं
वे तुम्हारी तरह बोलते हैं
तुम्हारी तरह बर्ताव करते हैं
तुम्हारी तरह हाव-भाव प्रकट करते हैं
जैसे बोलते समय तुम्हारे हाथ
मैं तुम्हारे अलिखित शब्दों को सहेजता हूं
तकिया के बिना अपने सर के नीचे
प्रतिबंध से बच जाते हैं
अपनी बंद आंखों के सामने
अपनी आत्मा की मेज पर फैलाकर पढ़ता हूँ
एकाकीपन की कैद के मकसद को
मैं पस्त करता हूं
तुम्हारे प्रेमपूर्ण अक्षरों में
खुद को डुबोकर...
(अनु. उमा)

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