हमसफर

मंगलवार, 19 अगस्त 2014

दामोदर घाटी निगम पर संकट, जीवन रेखा को चाहिए जीवन दान

कुछ ख़ास
उमा, धनबाद-
-आजाद भारत की प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना दामोदर घाटी निगम पर संकट के बादल-
बाढ़ जैसी भीषण प्राकृतिक आपदा को नियंत्रित करते हुए जीवन को रोशन करने के मकसद से 66 साल पहले 7 जुलाई, 1948 को अस्तित्व में आयी आजाद भारत की प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की जीवन रेखा आज जीवन दान के लिए तरस रही है. 27 मार्च, 1948 को डीवीसी का गठन भारत के संसद की ओर से डीवीसी एक्ट 1948 पारित कर किया गया, जिसे तत्कालीन गवर्नर जनरल की सहमति मिली और जिसमें तत्कालीन अविभाजित बिहार (अब झारखंड), पश्चिम बंगाल और केंद्र का संयुक्त रूप से स्वामित्व है. अस्तित्व संकट से जूझ रहे डीवीसी के मामले में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनीं केंद्र की नयी सरकार से भागीरथ प्रयास की उम्मीद भी जगी है. पूरे हालात पर प्रकाश डालती प्रभात खबर की यह विशेष रिपोर्ट.
दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) के प्रभारी अध्यक्ष पद से अरूप राय चौधरी के इस्तीफे के बाद नरेंद्र मोदी की नेतृत्ववाली केंद्र की नयी एनडीए सरकार ने ऊर्जा मंत्रलय में अतिरिक्त सचिव राजीव नयन चौबे को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया है़  ऊर्जा मंत्रलय ने स्थायी व नये अध्यक्ष को लेकर चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. नियमित अध्यक्ष के चयन तक चौबे इस पद पर रहेंगे.  चौबे के सामने अस्तित्व संकट से जूझ रहे डीवीसी के लंबित प्रोजेक्टों को पूरा कराने, सुप्रीम कोर्ट  में लंबित ऐश पौंड निबटारा, विभिन्न प्रतिष्ठानों पर करीब 80 अरब बकाये की उगाही के साथ पूर्व प्रभारी अध्यक्ष के फैसलों से कर्मियों में उपजी हताशा के बादल को छांट कर विश्वास बहाली की चुनौतियां हैं.
 विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें यहां  : http://www.prabhatkhabar.com/news/121372-story.html