हमसफर

मंगलवार, 4 सितंबर 2012

दैनिक भास्कर के पन्नों पर आत्महंता



गत दिनों दैनिक भास्कर के धनबाद संस्करण के डीबी स्टार (19 अगस्त 2012, रविवार) की कवर स्टोरी धनबाद के ब्लॉगरों पर केंद्रित थी। उसमें आपके ब्लॉग आत्महंता का भी जिक्र था। रिपोर्टर सदफ नाज की यह स्टोरी जितनी अपने शीर्षक से विषय को फोकस कर रही थी, उतनी व्यौरे और प्रकृति में नहीं। इस ब्लॉग के मोडरेटर की जानकारी में झारखंड के किसी भी अखबार या उनके परिशिष्ट में इस तरह की यह पहली कोशिश थी। प्रथम प्रयास होने के नाते इसकी कुछ सीमाएं स्वाभाविक रूप से दिखीं। दरअसल इस स्टोरी को ब्लॉग पर केंद्रित होना चाहिए था, लेकिन यह केंद्रित हो गया ब्लॉगर पर। इसके साथ ही ब्लॉग की कुछ खासियत के साथ विशिष्ट ब्लॉगर का जिक्र तथा उनका वर्सन जरूरी था। ऐसा होता कि वे क्यों फॉलो करते हैं यह ब्लॉग तो निश्चय ही स्टोरी की उपादेयता और भी बढ़ जाती। और दूसरी बात कि ब्लॉग के यूआरएल अंग्रेजी में विस्तार से होने चाहिए थे। स्टोरी के बाद आए कई फोन से यह और भी स्पष्ट हो गया कि ब्लॉग पता  अंग्रेजी में होना कितना जरूरी था। जैसे आत्महंता के दो वर्सन उपलब्ध हैं। एक लिखा जाता है – atmahanta और दूसरा aatmahanta. यह ब्लॉग  दूसरी वर्तनी में उपलब्ध है। इसके अलावे एक उपलब्ध है wordstar पर, जबकि दूसरा यानी यह ब्लॉग blogspot पर उपलब्ध है। कुल मिलाकर ऐसे प्रयास को थोड़े व्यापक स्तर पर करने से स्टोरी का असल मकसद पूरा होगा।
लिंक पर जाकर आप भी इसे देख सकते हैं।
बदलते दौर में दर्शक की मरती समीक्षा चेतना को जगाए रखने के लिए हर हाल में चैनलों, इंटरनेट, ब्लाग, यू ट्यूब, ट्विटर आदि पर अखबारों में एक पन्ना देना चाहिए। कुछ अखबारों ने यह प्रयास शुरू कर दिया है। इनकी रफ्तार और समाज पर इसके बढ़ते-फैलते शिकंजे को देखते हुए हिंदी समाचार पत्र जितनी जल्द इसे अपना ले, सेहत के लिए बेहतर होगा। नया पन्ना पाठकीय आधार बढ़ाने में बहुत जल्द फर्क लाएगा। अखबार जिस संचार क्रांति का हिस्सा है, उस फ्रेम की शेष चीजों से उसका रिश्ता दूर-दूर का होकर रह गया है। असंख्य साइट पर भटकने के बजाए विवेकवान पथ ढूंढ़ने के अलावे चैनलों के प्रवाह में चयन का विवेक पैदा करना भी मीडिया का धर्म है। यह प्रयोग एक खास तरह का माइंड सेट तैयार करेगा। ज्वलंत विषयों पर आभासी संसार (वर्चुअल स्पेस) में क्या कुछ हो रहा है, पाठकों को इसका भी पता चलेगा। लेकिन ऐसे प्रयास तभी संभव होंगे जब आप कुंठाओं से मुक्त हो विरादराना अंदाज में चीजों को देखें-गुनें।